इस लेख में हम राजा पोरस (Porus) की चर्चा कर रहे हैं। सिकंदर और राजा पोरस की लड़ाई, जो अक्सर कहानियों में बताई जाती है, ऐसे रोचक सवाल हैं, जिनके उत्तर दिलचस्प हैं। सिकंदर और पराक्रारमी राजा पोरस का इतिहास बहुत चर्चित है।यह अजीब लगता है कि जब सिकंदर को भारत में महान बताया जाता है और उसके बारे में गीत लिखे जाते हैं, तो फिल्में भी बनी हैं जिसमें सिकंदर को महान बताया गया है और कहावत भी बनाई गई है कि “जीता वही सिकंदर|
भारत का इतिहास दिलचस्प है। हमारे देश में हुए कई युद्धों को इतिहास की किताबें बताती हैं। इस सूची में भारत के इतिहास में कई महत्वपूर्ण युद्ध शामिल हैं। इनमें पोरस और सिकंदर की लड़ाई भी शामिल हैं। इन दो महाशक्तिशाली राजाओं के बीच हुआ युद्ध आज भी याद है। लेकिन इस युद्ध और भारत के राजा पोरस के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। युद्ध और राजा पोरस के जीवन पर भी कई फिल्मों और टेलीविजन शो बनाए गए हैं।
ऐसे में बहुत से लोग इस युद्ध की घटनाओं को जानना चाहते हैं। इसलिए आज हम इस लेख में आपको राजा पोरस और इस युद्ध के बारे में बताने जा रहे हैं।
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इतिहास में पोरस – King Porus in history
ग्रीस के प्रभाव में लिखी गई ऐतिहासिक पुस्तकों में कहा गया है कि सिकंदर 2000 साल पहले भारत में सबसे शक्तिशाली था और मगध साम्राज्य विश्व विजेता था। लेकिन ईरान और चीन के इतिहास इससे अलग हैं।इतिहास बताता है कि सिकंदर ने सम्राट राजा पोरस को पराजित किया था; यदि ऐसा होता तो सिकंदर मगध तक पहुंच गया होता, लेकिन यूनानियों ने पोरस को सिकंदर की हार में बदल दिया।
यूनानी इतिहासकारों के झूठ को पकड़ने के लिए आपको भारतीय, ईरानी और चीनी इतिहास भी पढ़ना चाहिए। यूनानी इतिहासकारों ने सिकंदर को एक महान योद्धा और देश का सम्मान बचाने के लिए झूठ बोला। यह लेख आपको बताता है कि आखिर युद्ध कब और कहां हुआ था।
Porus जाट पुरु-पौरव थे। इस चंद्रवंशी पुरुवंश में कई महत्वपूर्ण सम्राट हुए, जैसे वीरभद्र, दुश्यंत, चक्रवर्ती भरत, जिसके नाम पर आर्यावर्त देश का नाम भारतवर्ष हुआ, “हस्ती”, जिन्होंने हस्तिनापुर बनाया, “कुरु”, जिन्होंने कुरुक्षेत्र बनाया, आदि। इस पुराण काल में राजधानी हरिद्वार, हस्तिनापुर, इंद्रप्रस्थ तथा देहली (दिल्ली) थीं।झेलम और चिनाव नदियों के बीच महान सम्राट राजा पोरस का बड़ा साम्राज्य, पंजाब भी शामिल था।
मुद्राराक्षस नमक ग्रन्थ में बताया गया है कि 326 ई. पूर्व जाट सम्राट पोरस इस वंश का सबसे बड़ा सम्राट था। वे चिनाब और झेलम नदियों के बीच रहते थे। उस समय अरब देशों और भारत में कई छोटे छोटे राज्य और राजा थे। सम्राट पोरस शाशकों में सबसे शक्तिशाली थे। यूनान के महान इतिहासकार स्ट्रेबो ने लिखा किईस्वी पूर्व, राजा पोरस ने रोम (इटली) के राजा अगस्टस को अपने राजदूत भेजा था।
सिकंदर का आक्रमण और राजा पोरस की विजय -Alexander’s invasion and victory of King Porus
सिकंदर विश्व विजय के लिए निकला था। सिकंदर ने यूनान के मेसिडोनिया में अपने पिता की मृत्यु के बाद अपने सौतेले और चचेरे भाइयों को मार डाला और विश्व विजेता बनना चाहा। जब सिकंदर ने ईरान के राजा को पराजित कर खुद को विश्व विजेता बताया, तो उसकी भूख बढ़ गई।सिकंदर को ईरान की किताब शाहनामा में सिर्फ एक बर्बर विदेशी आक्रमणकारी बताया गया है।
सिकंदर ने ईरान से आगे बढ़ते हुए भारतीय सीमा पर बसे छोटे-छोटे राज्यों से टकराया।
यवन सेनाओं ने रात में संधि का नाटक करके राज्यों पर हमला किया। मित्रता की संधि की आड़ में अचानक आक्रमण कर, राज्य की राजमाता और बच्चों को तलवार से मार डाला, और कई राजाओं को बंधक बनाया।
लेकिन राजा पोरस ने वीरता से लड़ाई लड़ी और बहुत से संघर्ष के बाद सिकन्दर को हराया। Porus की जाट सेना ने सिकन्दर की सेना को पराजित किया। सम्राट पोरस ने इस युद्ध में जीत हासिल की। जाटों से लड़ते हुए सिकन्दर थक गया था। उसने सोचा कि इस वीर राजा से युद्ध करना मूर्खतापूर्ण था, इसलिए पोरस को अपने कैम्प में आमंत्रित करने के लिए दूत भेजा।
पोरस ने सिकंदर के कैम्प में जाकर सम्मानजनक सौदा किया। सिकन्दर भी वीर था, लेकिन साढ़े छह फीट का राजा पोरस की तरह कर्मठ या वीर नहीं था।
ईरानी इतिहासकारों ने बताया कि यूनानी सम्राट सिकन्दर ने 326 ई० पूर्व में भारतवर्ष पर हमला किया था। रात को सिकंदर की सेना ने जेहलम नदी पार की। Porus ने यह जानकर यूनानी सेना के साथ युद्ध किया। दोनों ने बहुत संघर्ष किया। सिकन्दर के साथ हजारों सैनिक यूनानी, सीथिया और सोग्डियाना से आए थे।पोरस की जाट सेना ने सिकन्दर की सेना को पीछे छोड़ दिया। सिकन्दर की सेना को पोरस की जाट सेना ने पीछे छोड़ दिया।
Hydaspes (ग्रीक नाम झेलम नदी) सिकंदर और राजा पोरस के बीच हुए युद्ध को “Battle of Hydaspes” कहते हैं। ग्रीक काल में इसे यवन या यूनानी भी कहा गया था।
ग्रीस इतिहासकारों का मत – { Opinion of Greek historians }
ग्रीस के इतिहास में इस युद्ध का उल्लेख है कि पोरस ने झेलम नदी के पास बहादुरी से लड़ा, लेकिन सिकंदर से हार गया। इस युद्ध में पोरस की सेना में हाथियों को देखकर सिकंदर भी हैरान रह गए। सिकंदर की बड़ी सेना को भी इस युद्ध में बहुत नुकसान हुआ।
इस युद्ध में भी सिकंदर की सेना को बहुत नुकसान हुआ। रावी और व्यास के निचले भाग में कठ जाट रहते थे। सिकन्दर ने उनसे संघर्ष किया। इन जाटों ने सिकन्दर की सेना को मुँह तोड़ जवाब दिया और उन्हें आगे बढ़ने से रोका। सिकन्दर को व्यास नदी तक पहुँचना बहुत कठिन था, मुख्य कारण था जाट राज्य यौधेय गणराज्य।
इनका क्षेत्र सहारनपुर से पश्चिम में बहावलपुर और लुधियाना से उत्तर पूर्व में और दिल्ली, आगरा से दक्षिण पूर्व में था। सिकन्दर के सैनिकों की रणकौशल और बहादुरी सुनकर उनका साहस टूट गया।और उन्होंने आगे बढ़ने से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया। ऐसे हालात में, सिकन्दर को व्यास नदी से ही वापस जाना पड़ा।
भारत के इतिहासकारों की प्रतिक्रिया { porus in Indian history)–
भारत के कई इतिहासकारों ने इस युद्ध में पोरस को विजयी बताया है। सिकंदर की सेना ने कई युद्धों से कमजोर हो गया था। सिकंदर भारत आकर निराश होकर वापस लौट गया।
सिकंदर की मृत्यु { Deth of Sikandar }
वापिसी में सिकन्दर की सेना का सामना करते हुए मद्र, मालव, क्षद्रक और शिवि जाटों ने बहुत साहस और वीरता दिखाई और सिकन्दर को घायल कर दिया।
सिकंदर की मौत के प्राकृतिक कारणों को कुछ इतिहासकार मानते हैं, जबकि अन्य मानते हैं कि पोधे से बनी जहरीली शराब ने उसे मार डाला।
इतिहासकारों में राजा पोरस की मौत पर मतभेद है। कुछ इतिहासकार बताते हैं कि सिकंदर ने जनरल नियाज को उनका राज्य सौंप दिया और आगे बढ़ गया।
राजा पोरस का जिक्र { mention of king porus }
1939: सिकंदर और राजा पोरस को लेकर फिल्म सिकंदर बनाई गई। फिल्म को सोहराब मोदी ने बनाया और निर्देशित किया था। राजा पोरस का किरदार उसने ही निभाया था,
1989: चाणक्य नामक टीवी शो में अरुण बाली ने राजा पोरस का किरदार निभाया था।2004.: फ़िल्म ‘अलेक्जेंडर’ में पोरस थाई अभिनेता बिन बनल्यूरिट ने निभाया था।
2011: राजा पोरस को चंद्रगुप्त मौर्य नामक टीवी शो में भी बताया गया था। जो वर्षों तक टीवी पर प्रसारित हुआ
राजा पोरस की म्रत्यु – { Deth of Porus }
मुद्राराक्षस ग्रंथ कहता है कि विषकन्या ने राजा पोरस को मार डाला, लेकिन यह झूठ लगता है राजा पोरस को विकिपीडिया के अनुसार सिकंदर के एक सेनापति योदोमोस ने 321 से 315 के बीच मार डाला था। किंतु अधिकांश लोगों का मानना है कि आचार्य चाणक्य ने पोरस को मार डाला होगा क्योंकि उन्होंने सोचा होगा कि वह चंद्रगुप्त मौर्य की जीत में बाधा डाल सकता है।
मूल्याकन -{ evaluation }
महान राजा पोरस ने अपना पूरा जीवन अपनी मातृभूमि के लिए समर्पित किया था.
निष्कर्ष —–: conclusion
क्या सिकंदर और पोरस ने युद्ध किया था? इसका कोई उत्तर नहीं है। ग्रीस के इतिहास में इस युद्ध का उल्लेख है, लेकिन भारत के इतिहासकारों का कहना है कि यह सिर्फ सिकंदर को वीर राजा के रूप में दिखाने के लिए लिखा गया था। अगर सिकंदर ने युद्ध जीता होता तो वह भारत वापस क्यों आता?
धन्यवाद ||
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